नींद का शरीर और मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है?

नींद का शरीर और मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है?

सेहतराग टीम

सेहत को बेहतर रखने के लिए नींद बहुत ही ज्यादा जरूरी है। अगर हम आवश्यकता अनुसार नींद नहीं लेते हैं तो हमारी सेहत खराब हो सकती है। नींद पूरी ना होने से मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि नींद का शरीर और मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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बहुत ज्यादा सोना

कई लोगों की आदत होती है कि कभी भी उन्हें सुला दो वो सोते ही रहेंगे मतलब कि यदि वे रात की 10 बजे सोएंगे तो भी सुबह 9 बजे उठेंगे और यदि वे रात की 8 बजे सोएंगे तब भी उनका यही हाल होगा। कच्ची नींद की तरह ही यह स्थिति भी ठीक नहीं है। बहुत ज्यादा सोने की समस्या उन लोगों में देखने में आती है, जो कहीं न कहीं अवसाद के दौर से गुजर रहे होते हैं इसलिए नींद में एक प्रकार का संतुलन होना बहुत आवश्यक है।

कच्ची नींद आना

कई सारे लोगो की नींद बहुत कच्ची होती है, जरा सी आहट से उनकी नींद टूट जाती है। ऐसा इसलिए होता क्योंकि वे लोग कहीं न कहीं तनाव व एंग्जाइटी से गुजर रहे होते हैं। कच्ची नींद के पीछे एक कारण यह भी है कि सोने के लिए आरामदायक स्थान का न मिल पाना। कच्ची नींद सोने वाले लोगों को शरीर और मन थका हुआ ही लगता है। नींद अच्छे से न हो पाने का बोझिल अहसास उनके शरीर पर भी हावी होने लगता है, जो कि ठीक नहीं है। 

सोते वक्त खर्राटे लेना

सोते वक्त यदि कोई व्यक्ति कभी- कभी खर्राटे लेता है तो यह मान लिया जाता है कि थकान ज्यादा होगी लेकिन यदि स्वभाव किसी की आदत ही बन चुका है तब तो बिल्कुल ठीक नहीं है। सोते समय खर्राटे लेने की वजह साइनस, शराब का सेवन, एलर्जी, ठंड आदि शामिल है। ज्यादा खर्राटे लेना आपके वजन को भी प्रभावित करता है। साथ ही यह किसी बड़ी बीमारी का संकेत भी हो सकता है इसलिए चिकित्सक को जरूर दिखाएं।

गहरी नींद सोना

कुछ लोगों को बिस्तर पर सोते ही बहुत गहरी नींद आ जाती है। यहां तक उन्हें कितना ही जगा लो वे हिलते तक नहीं है, ऐसे लोगों के लिए कई लोगों को तो लगता है कि कितना अच्छा है कि उन्हें सुकून की नींद आ रही है जो कि अच्छा भी है। बहुत जरूरी है कि आप जब सो रहे हों तो चिंतामुक्त होकर सोएं। नींद ऐसी ही होना चाहिए कि आपका शरीर अच्छे से चार्ज हो सके पर बेहोशी में सोना भी अच्छा संकेत नहीं है।

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